 
                        1. प्रतिदिन जप एवं ध्यान 
2. परिवार के सदस्यों सहित सप्ताह में एक बार भजन 
3. परिवार के बच्चों द्वारा संगठन के बालविकास कार्यक्रम में भाग लेना 
4. माह में कम से कम एक बार भजन या नगर संकीर्तन में सम्मिलित होना 
5. संगठन द्वारा आयोजित सेवा गतिविधियों में भाग लेना 
6. साई साहित्य का नियमित अध्यन 
7. प्रत्येक व्यक्ति से मधुर एवं प्रेम पूर्वक वार्तालाप करना 
8.किसी की आलोचना विशेषकर उनकी अनुपस्थिति में न करें 
9. इच्छाओं पर नियंत्रण के सिधांत का अभ्यास करना एवं उससे होने वाली बचत को मानव सेवा में उपयोग करना 
 
                        साई गायत्री 
साईश्वराय विद्महे सत्य देवाय धीमहि 
तन्न: सर्व: प्रचोदयात।
भोजन प्रार्थना 
ब्रह्मार्पणं ब्रह्म हविः ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम् , 
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्मसमाधिना 
अहं वैश्वानरो भूत्वा , प्राणिनां देहमाश्रितः, 
प्राणापानसमायुक्तः पचाम्यन्नं चतुर्विधम् 
गुरू प्रार्थना 
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुर्देवो महेश्वरः 
गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्रीगुरवे नमः 
गुरु ही ब्रम्हा है (वे ही अच्छाई का सृजन करते हैं ) 
गुरु ही विष्णु हैं (वे ही अच्छाई का पोषण करते हैं ) गुरु ही विष्णु हैं 
गुरु ही महेश्वर हैं (वे बुराई का संहार करते हैं ) गुरु ही महेश्वर हैं 
गुरु स्वयं ही सर्वोच्च ब्राम्हण हैं 
ऐसे गुरु को कोटि कोटि प्रणाम 
रात्रि शयनपूर्व प्रार्थना 
करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधं 
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो 
हे दया के सागर शिव शंभू , आपकी जय हो ,मेरे हाथों ,पैरों ,वाणी के द्वारा एवं आँखों ,कानों व मन के द्वारा जाने व अनजाने कोइ अपराध हुए हों , तो उन्हें क्षमा करें भगवान 
गायत्री मंत्र 
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं 
भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् 
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक,. 
देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें 
वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे 
 
                        सर्वधर्म प्रार्थना 
ॐ तत्सत श्री नारायण तू , पुरुषोत्तम गुरु तू 
सिद्ध बुद्ध तू,स्कन्द विनायक,सविता पावक तू 
ब्रम्ह मज्ज तू ,यहव शक्ति तू ,ईशू पिता प्रभु तू 
रूद्र विष्णु तू , राम कृष्ण तू ,रहीमताओ तू 
वासु देव गौ ,विश्वरूप तू ,चिदानंद हरी तू 
अद्वितीय तू ,अकाल निर्भय आत्मलिंग शिव तू 
ज्योति प्रार्थना 
असतो माँ सद्गमया 
तमसो माँ ज्योतिर गमया 
मृत्योर्मा अमृतं गमया 
 
                        सत्य साई मंगल आरती 
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी सत्य साई हरे ,भक्तजना संरक्षक ,पर्तिमहेश्वरा,
ॐ जय जगदीश हरे… 
शशिवदना , श्री करा ,सर्वा प्राण पते …आश्रित कल्पलतिका आपदबांधवा 
, ॐ जय जगदीश हरे… 
माता पिता गुरु दैवमु मरि अन्तयुनीवे स्वामी मरि अन्तयुनीवे …नादब्रम्ह जगन्नाथा ,नागेन्द्रा शयना ,
ॐ जय जगदीश हरे…… 
ओमकार रूपा ओजस्वी ओ साई महादेवा … मंगल आरती अंदुको ,मंगल आरती अंदुको मंगल गिरिधारी ,
ॐ जय जगदीश हरे…… 
" नारायण नारायण ॐ सत्य नारायण नारायण नारायण ॐ 
नारायण नारायण ॐ सत्य नारायण नारायण ॐ सत्य नारायण नारायण ॐ,
ॐ जय सद्गुरु देवा। " ...... x 3 
सार्वभौमिक प्रार्थना 
समस्त लोकाः सुखिनो भवन्तु 
विभूति मन्त्र 
परमम् पवित्रम बाबा विभूतिम 
परमम् विचित्रम लीला विभूतिम 
परमार्थ इष्टार्थ मोक्ष प्रदातिम 
बाबा विभूतिम इदमाश्रयामि